Sunday, October 16, 2016

अब पुनरजोत गुलदस्ता हिंदी में भी

प्रकृति की एकात्मकता का अहसास हर दिल में जगाने का अभियान है पुनरजोत 
लुधियाना: 16 अक्टूबर 2016: (पुनरजोत गुलदस्ता टीम):  
यह सब आपके स्नेह का परिणाम है कि पुनरजोत का दायरा पंजाब और पंजाबियों के साथ साथ अन्य भाषायों और अन्य क्षेत्रों तक भी बढ़ रहा है। उनके लिए हमने हिंदी रचनायों की अलग से व्यवस्था की है। पंजाब में रह रहे बहुत से गैर पंजाबी लोग भी पुनरजोत के काम को बहुत पसन्द करते हैं, इसमें हाथ बंटाना चाहते हैं और इस अभियान से जुड़ना चाहते हैं। जब हम किसी की दान की गयी आँख किसी को लगाते हैं तो उस समय यह नहीं सोचा जाता कि जिसने आंख दान की वो कौन था पंजाबी या कोई और? इसी तरह जिसे आँख लगाई जाती है उसके बारे में भी ऐसा कुछ नहीं सोचा जाता। आँख लगने के बाद हर इंसान को उस प्रभु की एकात्मकता का अहसास होता है। वो आंख कभी इंकार नहीं करती कि मैं तो पहले सिख आँख थी अब हिन्दू बन गयी इस लिए देखूंगी नहीं। प्रकृति के रहस्यों को दिखाने के साथ साथ आँख को रौशनी हमारे मन और दिलों के अंधेरों को भी दूर करती है। मानवता का अहसास जगाती है। वो अहसास जो युगातीत है। हमारा अधकचरा ज्ञान ही उसमें अलगाव के बीज बोटा है और फिर हम सब को उसकी फसल काटनी पड़ती है।  मंसूरां गाँव के दशहरा मेले में जितनी बड़ी संख्या में नाटक "पुनरजोत दा विआह" को पसन्द किया गया उससे साफ़ ज़ाहिर है कि आम लोग स्वस्थ विचारों की क्रांति को अपनाने के लिए तैयार हैं हमें केवल उन तक यह विचार पहुंचाने होंगें। अगर आपके आसपास भी कुछ ऐसा घटित हो रहा है जिसे समाज तक पहुंचाना अच्छा होगा तो उसका विवरण तुरन्त हमें ईमेल से भेजें।  साथ में कुछ तस्वीरें भी। हम उस सामग्री को आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे। हमें आपकी रचनायों, तस्वीरों और विचारों की इंतज़ार रहेगी। 
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